चुनाव है तो प्रचार होगा। प्रबंधन पर भी जोर रहेगा। आखिर कोशिश मतदाताओं से सीधे जुड़ने की जो है। अलबत्ता पुरानी व्यवस्था से इतर इस बार अंदाज नया है। राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को सेलिब्रिटी ही नहीं, रील बनाने वाले आम आदमी भी चाहिए।
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